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अंतर्राष्ट्रीय हिन्दी सम्मलेन 2020, विज्ञान भवन, नई दिल्ली
- January 13, 2020
- Posted by: samvad
- Category: Uncategorized
अंतरराष्ट्रीय हिंदी दिवस (10 जनवरी 2020) के सन्दर्भ में द्विदिवसीय सम्मेलन, 10-11 जनवरी 2020 विज्ञान भवन, नई दिल्ली में सम्पन्न हुआ| यह सफल प्रतिबद्ध प्रयास, हंसराज कॉलेज (दिल्ली विश्वविद्यालय) की प्राचार्या डॉ. रमा के अनवरत्-अथक जुझारू व्यक्तित्व तथा उनकी प्रामाणिक टीम के कारण लोकप्रिय भी रहा|
संवाद IAS परिवार की संपूर्ण टीम भी इस ऐतिहासिक आयोजन में भागीदार रही- यथा- डॉ. विजय किशोर सिन्हा, डॉ. विनय कुमार, अरुणेश सिन्हा, वरुणेश सिन्हा, प्रीति मैन्दोलिया, जय कुमार, उत्कर्ष कुमार, अंजलि ठाकुर आदि|
संवाद IAS के संस्थापक श्री कुमार ‘अजेय’ ने भी विशेषज्ञ वक्ता के रूप में स्मरणीय व्याख्यान दिया| 11 जनवरी को विज्ञान भवन, दिल्ली के प्लेनरी (मुख्य) हॉल में “लोक प्रशासन एवं नई हिंदी तथा नया भारत” विषय पर व्याख्यान देते हुए श्री कुमार ‘अजेय’ ने कहा कि- हिंदी, केवल भावनात्मक प्रश्न नहीं है, वरन आर्थिक-सांस्कृतिक-सामाजिक-राजनीतिक प्रश्न भी है| हिंदी को रोजगार से जोड़ना होगा| क्योंकि-
“नकली पैर (अंग्रेजी) चलने का सहारा तो दे सकते हैं,
मगर दौड़ने की रफ़्तार असली पैरों से ही आती है|”
कुमार ‘अजेय’ सर ने अंतरराष्ट्रीय हिंदी सम्मेलन में उपस्थित हजारों प्रतिभागियों को संबोधित करते हुए कहा कि- प्रशासनिक परीक्षाओं में (IAS, IPS, IRS, SDM, बनने हेतु) वैकल्पिक (मुख्य) विषय के रूप में हिंदी साहित्य सरल-सहज एवं अंकदायी रहा है| IIT, Medical, विज्ञान, कॉमर्स आदि पृष्ठभूमि के अंग्रेजी माध्यम के विद्यार्थी भी हिंदी साहित्य को संवाद IAS के सहयोग से 4 माह में तैयार कर लेते हैं तथा 60-70% अंक प्राप्त करते हैं| ‘अजेय’ सर ने सिविल सेवा परीक्षा की सम्पूर्ण तैयारी हेतु प्रतिभागियों को संवाद IAS से जुड़ने एवं सहयोग का प्रस्ताव दिया, जिसका उपस्थित हॉल में तालियों से स्वागत किया गया|
श्री कुमार ‘अजेय’ ने हिन्दुस्तानी (हिंदी-उर्दू मिश्रित भाषा) के महत्व को बताया| राष्ट्र यदि शरीर है तो बोली एवं भाषा उस शरीर की धमनियाँ हैं| भाषा तो बहता नीर है| जिस प्रकार ईश्वर सीधी-सरल भाषा में संवाद चाहते हैं उसी तरह हिंदी भी सरलता-सहजता से संवाद करती है| हिंदी को न्यायपालिका, विज्ञान, तकनीक, रोजगार की भाषा बनाना होगा| जो भी सफल हैं उनमें 90% से अधिक ने अपनी भाषा, अपनी मिट्टी, एवं अपनी संस्कृति को ही आधार बनाया है| रवीन्द्रनाथ टैगोर भी मानते थे कि यदि हम मातृभाषा नहीं जानते तो दूसरी भाषा भी ठीक से नहीं समझ सकते हैं|
द्वितीय सत्र में बोलते हुए श्री निशांत जैन (IAS) ने हिंदी को व्यावहारिक बनाने पर बल दिया| श्री धवल जायसवाल (IPS) ने हिंदी को प्रशासनिक कार्यो में अपनाने हेतु कहा| वहीँ श्री कुंदन यादव (IRS) ने सरकारी कार्यालयों में हिंदी की चुनौतियों के बारे में विस्तार से समझाया| कुमार ‘अजेय’ सर ने गाँधीजी के विचारों की याद दिलाते हुए कहा कि- यदि हम अंतिम व्यक्ति का कल्याण चाहते हैं तो- हिंदी भाषा को ही अपनाना होगा|
यदि लक्ष्य है कि सभी हेतु
आवश्यकताओं की पूर्ति हमेशा होती रहे तो,
हमें कलम दो, कला दो, कौशल दो|
अपनी भाषा में शिक्षा दो, एवं प्रशासन दो|
हंसराज कॉलेज (दिल्ली विश्वविद्यालय) की प्राचार्या डॉ. रमा, विज्ञान भवन में व्याख्यान से पूर्व कुमार ‘अजेय’ सर को सम्मानित करते हुए-